चंद्रशेखर ने दलितों को जागने  के बारे में क्या कहा.?? अख़बारों का रवैया कुछ अलग नहीं था. उन्होंने भी उसे अंदर के पन्नों में फेंक दिया. उनकी दिलचस्पी घिसे-पिटे बयान या आईपीएल के फाइनल में अधिक थी. एक अख़बार की सुर्खी तो ये बता रही थी कि दलित अपने फरार नेता के साथ खड़ा होने के लिए इकट्ठी हुई थी.

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